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कैसे पता करें कि आपको OCD है या नहीं –
अगर किसी इंसान को OCD है तो वो दिन में बार बार अपने हाथों को साबुन से धोएगा। उसे चिंता या घबराहट लगी रहेगी कि कहीं उसके हाथ गंदे तो नहीं है या फिर उनमें germs तो नहीं है।चलते चलते सड़क पर बिजली के खंभों या पेड़ो को गिनने की तेज इच्छा होना या उन्हे छूते हुए निकलना।पैसो को बार बार गिनना।बार-बार नहाना या फिर दिन मे कई बार घर की सफाई करते रहना।कुछ विचार(thoughts) या छवि(images) मन में बार बार आते रहते है और इंसान उन पर काबू नहीं पा पाता।ऐसे लोगों मे किसी दूसरे इंसान को बिना बात पर नुकसान पहुंचाने का डर भी रहता है इसलिए ये चाकू और आग जैसी चीजों से दूरी बनाकर रखते है।दूसरे लोगों की तुलना मे ज्यादा परेशान हो जाना अगर चीजे बिल्कुल सही ढंग से या सही जगह पर न हो। उदाहरण के लिए अगर किताबें अलमारी मे ठीक ढंग से न रखी हों।अपने आप से लगातार बहस करते रहना कि इस काम को करुँ या दूसरे काम को करुँ। इस तरह इंसान एक छोटा सा निर्णय(Decision) भी नहीं कर पाता।दूसरों से बार-बार पूछते रहना कि सब कुछ ठीक है या नही।किसी एक काम को बार बार करना (Repeating)। for example – किसी एक चीज को बार बार पढना या लिखना।फालतू चीजों को घर मे जमा करके रखना, जैसे खाने के खाली डिब्बे, फटे हुए कपड़े।नैतिक या धार्मिक विचारों पर पागलपन की हद तक ध्यान देना।
अगर इस तरह के लक्षण किसी इंसान मे 6 महीने से ज्यादा समय से है और अगर इस से उनकी daily routine मे कोई प्रभाव पड़ रहा है तो उन्हे अॅब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर हो सकता है। लेकिन अगर किसी इंसान का दोहराने वाला व्यवहार खुशी देने वाला है तो यह OCD नहीं होता जैसे, जुआ खेलने की आदत, ड्रग्स लेना या शराब पीना।
क्यो होता है Obsessive compulsive disorder ?
OCD होने हा मुख्य कारण है मष्तिष्क (Brain) में कुछ खास किस्म के रसायनों (chemicals) के level में गड़बड़ी होना है, जैसे कि सेरोटोनिन (Serotonin) आदि। रिसर्च मे पाया गया है की OCD एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे आता है। अगर किसी के माता पिता को OCD है तो उनके बच्चो को भी OCD होने की संभावना होती है।
अगर कोई इंसान साफ सफाई मे बहुत ज्यादा ध्यान देता है या हर काम को perfection से करता है और ऊँचे नैतिक सिद्धान्तों वाले इंसान हैं तो उसे OCD होने की ज्यादा सम्भावना होती है।
OCD कब शुरू हो सकता है?
Obsessive–compulsive disorder किसी भी इंसान को किसी भी उम्र मे हो सकता है। लक्षण (symptoms) समय के साथ आ और जा सकते है। इस बीमारी का पहला पड़ाव है 10 से 12 साल के बच्चों का और दूसरा 20-25 साल पर शुरू हो जाता है। आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग हर 50 में से एक इंसान को अपनी ज़िंदगी में ओसीडी हो सकता है। यानि ये इतनी uncommon problem नहीं है, और अगर unfortunately आपको या आपके किसी जानने वाले को है तो इसमें शर्म कि कोई बात नहीं, बस किसी भी और बिमारी की तरह इसका इलाज कराने की ज़रूरत है।
वहीँ जिन्हें ये बिमारी नहीं है उन्हें भी OCD से ग्रसित लोगों को अलग नज़र से नही देखना चाहिए, ये तो बस chemical disbalance का रिजल्ट है और ये कल को किसी के साथ भी हो सकता है!
क्या हैं इलाज़ ...
मामूली OCD वाले बहुत से लोग बिना इलाज के ही अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मध्यम से गम्भीर तीव्रता के OCD वालों को इलाज़ की जरूरत पड़ती है हालाकि किसी-किसी समय उनके लक्षण खत्म होते हुए दिखाई देते हैं लेकिन कुछ समय बाद फिर से दिखाई दे सकते है । तीव्र ओसीडी से पीड़ित लोगों मे तनाव या उदासी देखी जा सकती है। इनके लिए इलाज मददगार होगा।
आजकल obsessive compulsive disorder के इलाज़ के आधुनिक तरीकों से मरीजों को काफी राहत देना संभव है। हाँ, इसके इलाज का असर का पता चलने में 6-7 हफ्ते या उससे ज्यादा समय भी लग सकता है। इसके इलाज़ में जितना दवाइयो का महत्व है उतना ही महत्व मनोवैज्ञानिक पद्धति से इलाज का है जिसे psychotherapy and CDT कहा जाता है।
कई लोग शर्म की वजह से (लोग क्या कहेंगें) या उनपर पागलपन का ठप्पा लगने के ड़र से मनोवैज्ञानिक समस्याओ को छुपाते है और तकलीफ़ों को सहन करते रहते है जिसकी वजह से तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती है। यह रवैया दिक्कत को कम करने की बजाय ओर बढ़ा देता है।
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